हिमाचल प्रदेश सोलन में जून म्हनै के अंतिम सप्ताह को मां शूलिनी (shoolini) को समर्पित राज्य स्तरीय शूलिन मेले (fair) का आयोजन किया जाता है|
यह है मेले के आयोजन का इतिहास :
सोलन शहर माता शूलिनी देवी के नाम से बसा हुआ है। पूरब में सोलन नगर बघाट रियासत की राजधानी हुआ करती थी, जिसकी नींव राजा बिजली देव ने रखी थी। बारह घाटों से मिलकर बनने वाली बघाट रियासत की शुरूआत में राजधानी जौणाजी, उसके बाद कोटी और बाद में सोलन बनी। राजा दुर्गा सिंह इस सियासत के अंतिम शासक थे। रियासत के विभिन्न शासकों के काल से माता शूलिनी देवी का मेला लगता आ रहा है। ऐसा कहा जाता है कि रियासत के शासक अपनी कुलश्रेष्ठता के लिए मेले को लगाते थे।
पुराने समय में सोलन मेला केवल एक दिन आषाढ़ मास के दूसरे रविवार को माता के मंदिर के पास खेतों में मनाया जाता था। सोलन जिले के अस्तित्व में आने के बाद से इसे पर्यटन की दृष्टि से बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तरीय मेले का दर्जा दिया गया। वर्तमान में माता शूलिनी देवी का मंदिर शहर के दक्षिण में है। इस मंदिर में माता शूलिनी के अलावा शिरगुल देवता, माली देवता आदि की प्रतिमाएं मौजूद हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता शूलिनी सात बहनों में से एक हैं। अन्य बहनें हिंगलाज देवी, जेठी ज्वाला जी, लुगासना देवी, नैना देवी और तारा देवी के नाम से विख्यात हैं।